तो आज हम जानते है पचराई के बारे में| चलचित्रों के लिए यहाँ क्लिक करे |
पचराई के मंदिर १००० वर्षों से भी अधिक प्राचीन माने जाते है | यहाँ कुल २८ मंदिर है जो जैन तीर्थंकरों को समर्पित है | ये सारे मंदिर एक टीले पर एक अहाते में स्थित है, जहाँ एक बावडी भी है | यहाँ की मुख्य विशेषता मंदिरों में स्थित प्राचीन, सुंदर तथा हीरे की पालिश युक्त प्रतिमाये है, जो किसी समय अखंड एवं अत्यंत आकर्षक थी, किन्तु समय चक्र के कारण और मूर्ती आक्रमणकारियों की क्रूरता के कारण आज ये अवशेष मात्र रह गयी है | अधिकाँश मूर्तिया खंडित कर दी गयी थी, जिन्हें कुछ संगठनों की सहायता से जीर्नोधारित किया जा रहा है |
हालाकिं कई प्रतिमाये तो आज भी अत्यंत चमकदार तथा मनोज्ञ है | ऐसी ही तीन प्रतिमाये जो शान्ति-कुन्थु-अरह तीर्थंकरों को समर्पित है, एक मंदिर में विराजमान है अत्यंत अतिशयकारी है और १३ फीट लम्बाई की है | माना जाता है की इन प्रतिमाओं की स्थापना में पाडाशाह नामक व्यापारी का योगदान था, जिसे पचराई से कुछ दूरी पर स्थित एक तालाब से पारस पत्थर की प्राप्ति हुई थी और उसका स्वप्न सत्य हुआ था | वह रांगे का व्यापार करता था और इसके लदान के लिए पाड़ों का उपयोग करता था, इसीलिये उसका नाम पाडाशाह पड़ा | उसने इस पारस पत्थर का उपयोग कर बुंदेलखंड क्षेत्र में कई मंदिरों का निर्माण कराया था और तत्कालीन चंदेल, तोमर वंशी राजाओं ने भी अनुमोदना की थी |
प्राकृतिक रूप से पचराई बहुत सुंदर स्थान है, जो कई तालाबों से घिरा है और पठारी भाग पर अवस्थित है | यह शिवपुरी जिला (म.प्र) में खानियाघाना नामक स्थान से १८ किमी है |
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